Sharks of Law
Adv Arjun Sharma
Adv Arjun Sharma. | 1 year ago | 617 Views

किसान आंदोलन 2.0 - 2 साल बाद विरोध प्रदर्शन का कारण, मांग और रणनीति?

इसके अंदर किसानों ने काफी सारी मांगे रखी है जो इस प्रकार है -

  1. एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) - इस बार की मुख्य मांगों में से एक स्वामीनाथन कमीशन की रिपोर्ट के अनुसार एमएसपी को कानूनी रूप से मान्यता देना है। यह मांग पहले के विरोध प्रदर्शनों के दौरान भी की गयी थी, जिसमे कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग भी रखी गयी थी। न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) किसानों को, सरकार द्वारा दी जाने वाली गारंटी होती है जिसमे सरकार किसानों द्वारा उगाई गयी फसलों को एक न्यूनतम निश्चित दाम पर उनसे खरीदती है। 
  2. लोन माफ़ी - इस आंदोलन में किसानों की दूसरी बड़ी मांग यह है कि स्वामीनाथन कमीशन की सिफारिशों पर ध्यान देते हुए सभी किसान भाइयों का लोन माफ़ किया जाये।
  3. भूमि अधिग्रहण का मुआवज़ा - सरकार की किसी भी विकास परियोजना को सफल बनाने के लिए किसी भी सरकारी अधिकारी द्वारा अधिग्रहित या क़ब्ज़े में ली गयी जमीन का उचित मुआवजा दिया जाये। साथ ही, किसानों के परिवारों के रहने के लिए एक 10 प्रतिशत विकसित जमीन का आरक्षण भी दिया जाए। 
  4. विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) - भारत के किसान चाहते है कि भारत विश्व व्यापार संगठन के साथ काम न करके खुद को विश्व के सभी व्यापारियों से अलग कर ले। साथ ही, मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) पर भी सरकार द्वारा प्रतिबंध लगा दिया जाये।
  5. लखीमपुर खीरी मारकाट - 13 अक्टूबर 2021 में खुलेआम हुई मारकाट में शामिल सभी अपराधियों को सज़ा देकर, मृत किसानों और उनके परिवारों को न्याय देने की मांग भी की गयी है। 
  6. किसानों को पेंशन - खेतों में काम करने वाले 60 साल से ऊपर के किसानों और मजदूरों को उनकी बुनियादी जरूरतों के लिए उन्हें ₹10,000 की मासिक पेंशन दी जाये। 
  7. बिजली संशोधन बिल 2020 - किसानों ने फिर से बिजली संशोधन बिल को रद्द करने की मांग की हे क्योंकि किसानों को बिजली के निजीकरण होने का डर है। बिजली के प्राइवेट हो जाने के बाद सब्सिडी का भुगतान समय पर होगा या नहीं इसके संबंध में किसानों को राज्य सरकारों पर भरोसा नहीं हैं।
  8. जानमाल का मुआवज़ा - 2020-2021 के आंदोलन के दौरान जानमाल के नुक्सान में मारे गए किसानों के परिवारों के लिए आर्थिक मुआवजे के साथ-साथ हर परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की भी मांग की गई है।
  9. महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005 - महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005 (Mahatma Gandhi National Rural Employment Guarantee Act 2005) के तहत हर साल सभी मजदूरों को 100 दिन का रोजगार देने के वादे को बढ़ाकर 200 दिन के लिए किया जाये, जिसमें दैनिक मजदूरी 700 रुपये तक बढ़ाई जाए।
  10. राष्ट्रीय मसाला कमिशन - अलग-अलग मसालों के लिए विशेष रूप से एक आयोग का गठन किया जाये।
  11. स्वदेशी लोगों के अधिकारों की सुरक्षा - जनजातीय समुदायों से संबंधित लोगो की जमीन, जंगलों और जल संसाधनों की सुरक्षा की जाए। 
  12. बीज की गुणवत्ता - नकली बीज, कीटनाशक और उर्वरक बनाने वाली कंपनियों को दंडित करके बीज की गुणवत्ता में सुधार किया जाये ताकि फसल अच्छी और पोषणकारी हो सके। 

किसानों के विरोध के पीछे की रणनीति इस प्रकार है -

  1. इस बार लगभग 25,000 किसानों और 5,000 ट्रैक्टरों के सड़कों पर उतरने की संभावना है। हालाँकि, विरोध बढ़ने पर यह संख्याएँ बढ़ भी सकती हैं।
  2. सरकार की तरफ से तीन केंद्रीय मंत्री, पीयूष गोयल, नित्यानंद राय और अर्जुन मुंडा ने किसान नेताओं से इस संधर्भ में बातचीत की थी ताकि किसानों को दिल्ली तक मार्च या आंदोलन करने से रोका जा सके।
  3. संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) के नेता ने कहा है कि केंद्र सरकार से बातचीत जारी रखी जाएगी लेकिन 'दिल्ली चलो' मार्च को नहीं रोका जाएगा।
  4. खाप और जाट समुदाय के संगठन के लोग अभी तक इस विरोध प्रदर्शन में शामिल नहीं हुए हैं।
  5. जबकि दो खापों ने हो रहे किसान आंदोलन के नेताओं से निवेदन किया कि वे दिल्ली को इस तरह से न घेरे और इसके बजाय अपनी मांगों के बारे में सरकार से बातचीत करें।
  6. सोनीपत में खाप नेताओं में से एक ने पहले हुए विरोध प्रदर्शनों के दौरान हरियाणा के बॉर्डर जिलों में लोगों को हुए भारी नुकसान और असुविधा के बारे में बताया, जिसमे हुए नुक्सान के कारण बड़ी संख्या में व्यवसाय और उद्योग हमेशा के लिए बंद हो गए। 

ऊपर बताई गयी बातों से लगता है कि इस बार आंदोलन में किसानों की भागीदारी कम होने, जल्दी ही फसल का मौसम आने व् अधिकारियों द्वारा आंदोलन को रोकने कि की गयी तैयारियों के कारण शायद यह आंदोलन फीका पड़ सकता है और सम्भवतः पिछले विरोध प्रदर्शन की तरह लंबा भी ना चले। 

शार्क्स ऑफ लॉ आपको सालों का अनुभव रखने वाले प्रतिभाशाली और सबसे प्रवीण वकीलों की एक टीम प्रदान करता है, हमारा मानना ​​है कि कानूनी सहायता आसानी से सभी को उपलब्ध होनी चाहिए क्योंकि किसी को किसी भी समय इसकी आवश्यकता हो सकती है, इसलिए आप अपने पास उपलब्ध किसी भी माध्यम से आप सहजता से हमसे संपर्क कर सकते हैं। 

ईमेल:-helpdesk@sharksoflaw.com

सहायता केंद्र:-+91-88770-01993

Other Articles You May Enjoy

“India Is Not A Dharamshala” SC Refuses Relief To Sri Lankan Tamil Under UAPA

Adv Tanvi Malik • 12/06/2025

Latest Divorce Rules And Process In India 2025

Adv Vipul Singh Raghuwanshi • 11/06/2025

President Murmu Referred 14 Questions To Sc Over Judiciary’s Power To Set Deadline For Assent Over Bill

Adv Tanvi Malik • 10/06/2025

SC Asks Bombay High Court Chief Justice To Review Landlord Tenant Case Backlog

Adv Vipul Singh Raghuwanshi • 09/06/2025

Like what you see ? Follow us here
We Accept
stripe
Lawyer Account

Sign Up

Sign In

User Account

Sign Up

Sign In